इश्क़ में नाम मत कहो (GAZAL)
इस सहर को सर-ए-शाम मत कहो
हाथ इमरित है इसे जाम मत कहो
*
नज़र से बातें हुई फ़िर और बातें हुई
बात से डर कर कत-ए-कलाम मत कहो
*
आप मेरी फ़िक्र करे हम आपकी करतें हैं
यह इश्क़ का डोर है इसे लग़ाम मत कहो
*
ख़त बिना लौट कर आना नामाबर का
दास्ताँ मुकम्मल है फ़क़त पयाम मत कहो
*
नाम होगा शायरी में उनका कहीं न कहीं
पढ़ लिया हो अगर नाम सरेआम मत कहो
*
नाम ले लेकर, कर बदनाम देते हैं लोग
रस्म हो यह इश्क़ में नाम मत कहो
*
इश्क़,मुहबत,अमन ही अल्लाह का पैगाम है
गर लगाये पाबंदी कोई उसे इमाम मत कहो
*
सफ़र पर निकल गए हो तो चलते चलो 'सिंह'
छाँव है जगह जगह पर अराम मत कहो
राहुल सिंह
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें