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क्या आप एक कार्यकर्ता को याद रखना चाहेंगे?

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एक नेता को खड़ा करने से लेकर उसे लोकप्रिय बनाने तक में सैंकड़ो कार्यकर्ताओं का श्रम होता है।  यही सत्य किसी पार्टी के लिए भी है। किसी पार्टी को खड़ा करने एवं लोकप्रिय बनाने में कई नेताओं एवं उनके पीछे हजारों-लाखों कार्यकर्ताओं का श्रम होता है। बाद में पार्टी या उसके मजबूत नेता तो याद रखे जातें हैं लेकिन कार्यकर्ता भूला दिए जातें हैं चाहे वह कार्यकर्ता कितना ही श्रमिक, चिंतनशील क्यों न हो। आज के समय में बड़ी  पार्टियों में ऐसा बहुत कम सुनने को मिलता है कि कोई कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में नेता से ज़्यादा लोकप्रिय हो गया हो और पार्टी इसे ध्यान में रखते हुए उसे उम्मीदवार घोषित कर दी हो। कार्यकर्ताओं का यह सपना ही रह जाता है। यह एक सपना जैसा ही है कि एक साधारण परिवार से आने वाले कार्यकर्ता को पार्टी टिकट दे दे। आज का यह सत्य है की पार्टी अपने टिकट का बंटवारा व्यक्ति के आर्थिक सामर्थ्य के आधार पर करती है। मान लीजिये पार्टी ने कार्यकर्ता की अगाध लोकप्रियता से प्रभावित होकर उसे टिकट देने का फ़ैसला कर लिया तो क्या ऐसा हो सकता है कि वह कार्यकर्ता टिकट लेने से मना कर दे। क्या वह इतना साहस, इतना त्याग