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मिट्टी का सामान बनाना कितना मुश्क़िल?

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दिवाली पर चीन का सामान नहीं खरीदना है । ज्यादा से ज्यादा हिंदुस्तानी, मिट्टी से बने चीजें खरीदनी है। इससे कुम्हारों की आमदनी में वृद्धि होगी, भारत का पैसा विदेश जाने से बचेगा, मिट्टी के सामान बनाने की कला को बढ़ावा मिलेगा आदि आदि । वैज्ञानिक रूप से भी मिट्टी के सामान का प्रयोग करना अच्छा है । इससे वातावरण को खतरा नहीं होता और तो और टूट जाने पर यह फिर से मिट्टी में आसानी से मिल जाता है । कई लेखों में इस बात पर भी ध्यान आकर्षित कराया गया कि बल्ब की रौशनी से कीड़े आकर्षित होते हैं, मरते नहीं हैं जबकि दीप की लौ में जलकर कीड़े-मकौड़े मर जाते हैं ।  यह हम सब जानते हैं कि फ़्रीजर में रखा पानी से अच्छा घड़ा का पानी पीना होता है लेकिन हम में से कितने लोग इसका पालन करते हैं । मिट्टी के वर्तन में पका व्यंजन का स्वाद शायद ही अब किसी को याद हो । दिवाली पर जो 'चीन की रौशनी' के बदले भारतीय दीया खरीदने की जो अपील की जा रही है इससे कितना मिट्टी के सामान के व्यापार में सुधार आयेगा इसे समझने की जरुरत है। क्या पहले भी कभी ऐसी अपील की गयी थी ? क्या उस समय किसी नेता, समाज सेवक, कवि, लेख़क को कुम्हारों क