ग्राम-दृश्य
ग्राम-दृश्य देख बटोही यह सर्प बदन -सी बलखाती यह रत्नाकर -सम लहराती यह मखमल -सा कोमल पगडण्डी मेरे गाँव को जाती है । (तू आगे बढ़ ) (टन -टन ) ये कर्ण भेदते मंगल-ध्वनि , मेरे ग्राम -सीमा पर स्थित , संकटमोचन मंदिर की ध्वनि है यह सव्च्छंद होकर बहती धरातल से फूटी जल स्रोत की जल -धारा है । त्याग संकोच ,देर न कर तू ये रस पी ले (क्योंकि ) यह जल धारा 'दिल्ली ' की यमुना और 'पटना 'की गंगा से उत्तम है । (तू पी ले) (चल ,आगे बढ़ ) (लाओ ये सामान मुझे दे दो ) तू घबरा मत , तू संदेह कर वे अपने ही गाँव के चाचा हैं , अब तू यह मत पूछ मेरा ,कहाँ ठिकाना है यहाँ पर सबका हर घर से रिश्ता -नाता है ॥ -राहुल सिंह