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सितंबर 6, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ग्राम-दृश्य

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                          ग्राम-दृश्य        देख बटोही  यह सर्प बदन -सी बलखाती  यह रत्नाकर -सम लहराती  यह मखमल -सा कोमल पगडण्डी  मेरे गाँव को जाती है ।  (तू आगे बढ़ ) (टन -टन ) ये  कर्ण भेदते मंगल-ध्वनि , मेरे ग्राम -सीमा पर स्थित , संकटमोचन मंदिर की ध्वनि है  यह सव्च्छंद होकर बहती  धरातल से फूटी जल स्रोत  की  जल -धारा  है ।  त्याग संकोच ,देर न कर  तू ये रस पी ले (क्योंकि ) यह जल धारा 'दिल्ली '  की यमुना  और 'पटना 'की गंगा  से उत्तम है । (तू पी ले) (चल ,आगे बढ़ ) (लाओ ये सामान मुझे दे दो ) तू घबरा मत , तू संदेह  कर  वे अपने ही गाँव के चाचा हैं , अब तू यह मत पूछ  मेरा ,कहाँ ठिकाना है  यहाँ पर सबका  हर घर से रिश्ता -नाता है ॥                                       -राहुल सिंह