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जनवरी 21, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सुदामा की शिकायत

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                       मित्र यह तुमने क्या कर दिया ! आया था मैं तो बस एक मुलाकात के लिये लेकिन तुमने अपने महल में ठहरा दिया दुनिया चाहे तुम्हे राजा कहे लेकिन तुमने भिक्षा की पोटली चुरा लिया  मैं  ठहरा दीन ब्राह्मण भिक्षु   दुनिया को दिखलाने के लिए थीं  मेरे पास सिर्फ दो वस्तु  ज्ञान और स्वाभिमान  अपने सिँहासन पर बैठाकर आज तुमने इसे भी भंग कर दिया  मित्र तुमने यह क्या कर दिया ! थी टूटी, फूटी  मगर जीवित कुटिया मेरी  चावल की दो मुठी खाकर  तुमने इसे मृत महल बना दिया  दुनिया की नज़रों में दाता बनकर  वास्तव में आज मुझे ग़रीब बना दिया  चाहे हो तेज़ तपन     या हो थर्राती ठंढ  हर मौसम में था यह शरीर सफल    पग से मेरे शूल निकालकर  तुमने इसे कोमल बना दिया  मित्र तुमने यह क्या कर दिया !                                       राहुल सिंह