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जनवरी 8, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दफ़न हो जाना चाहिए ऐसे शताब्दी को....!

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जब यह शताब्दी अपने ही विकृतियों के बोझ तले ढह जाएगी दब जाएगी  सैंकड़ो फिट नीचे और जब ढूंढ़ी जाएगी पुरातत्व विभाग द्वारा किसी काल में ऐसा काल जिसने नहीं जाना क्या होती बंदूक, क्या होती गोली क्या होता बारूद ऐसा काल जिसमे वह शब्द, 'राष्ट्रवाद' न हो जो पैदा करता है आतंकवाद जो पैदा करता है तानाशाह जब मिलेंगे उसे किताब के कुछ पन्ने जिसमें लिपिबद्ध होंगे कुछ क़ानून जिसमें लिखा होगा कैसे करना है एक ख़ूनी का ख़ून मिलेंगे ऐसे भी कुछ पन्ने जिसमें लिखा होगा कि नाश्ते में लेना है फलाँ नारा, खाने में फलाँ कहेगा ख़ुदाई करने वाला_ खोदो 100-200 फीट और दफ़न कर दो इसे धरातल में कि कोई ढूंढ न पाए इसे किसी काल में                                       राहुल सिंह  नोट : यह कविता 'दया पवार' के कविता से प्रेरित है