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LYRICS

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भाग्य पर तू क्यों रोए रे साथी भाग्य तो बस एक शब्द रे हाथ की लकीरों में क्यों उलझे है यह तो बस मुठी की एक नींव रे उठ और मेहनत कर ले तभी मिलेगी तुझे जीत रे तभी मिलेगी तुझे जीत रे मिलेगी मंजिल कबतलक ये क्यों बार-बार तू सोंचे रे तेरा काम राह पर चलना तो चला चल राही रे कभी तो मिलेगी तुझे तेरी मंजिल रे किस्मत के धागे में तू क्यों उलझे है पहन ले कर्म का जामा रे बह रही हो लहरे चाहे तेरे विपरीत छोड़ ना सब्र की नैया रे कभी तो बहेंगे मौजे तेरे संग रे ॥                                                                      -Lyrics by Rahul Singh