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पेड़ा

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                                            पेड़ा  "अरे बेटा कितना दुबला हो गया है तु ? ले एक और पेड़ा  खा ले ", डॉक्टर साहब के लाख मना करने पर भी हलवाई दादी ने दो पेड़े उनके प्लेट में डाल दिए। इस पर डॉक्टर साहब थोड़ा खीजते हुए बोलें _दादी ये क्या कर रही है ?बार -बार मना करने के बाद भी तूने पेड़े प्लेट में डाल दिए। पता है तुझे  इनसब चीजों में कितना fat होता है ? गाँव में कुछ दिन और रहा तो मेरी  body का कबाड़ हो जायेगा। दादी ने प्यार से लालू के गाल पर हाथ फेरते हुए कहा _डॉक्टर क्या बन गया बड़ी-बड़ी बातें करने लग गया। याद नहीं तुझे कैसे बचपन में तु सुबह से शाम तक इस दुकान पर ही बैठा रहता था। यहाँ तक की खाना खाने भी घर नही जाता था। तुझे मेरे हाथ से ही खाना पसंद था इसीलिए तेरी दादी अक्सर खाना लाकर यहाँ रख जाती थी। और हाँ , आज जिस पड़े  लिए तु मना कर रहा है वो तो तुझे जान से भी प्यारा था। जब तक तेरा मन नही भर जाता था तब तक माँगते ही रहता था। दादी की बातों में करुणा को भाँफते हुए डॉक्टर साहब ने कहा _ऐसी बात नही है दादी। तुझे पता है आज जब मैं इतने दिनों बाद गाँव में आया तो सबसे पहले अपन