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जनवरी 6, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सच की पुड़िया में झूठ बेचता है (MASANAVI)

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गाली-गाली खेलते, टीवी पर पहुँच गया कोट-टाई पहनकर, रिपोर्टर बन गया * फिर हुकमरानों के हाथ बिक गया, अमीर बन गया आँख पर पट्टी बाँधकर, तलवा चाटने में लग गया * सच की पुड़िया में, झूठ पैक करने लगा चिल्ला-चिल्लाकर, सरेआम बेचने लगा * जब सच का लेबल उतर गया, बिकना हो गया 'राष्ट्रहीत', 'देशभक्ति' का लेबल लेकर पहुँच गया * मालिक ख़ुश हुआ, मोहरा उसे अच्छा मिला इस तरह रिपोर्टर को, राष्ट्रीय सम्मान मिला * अब वह दुगनी उत्साह से गाली-गलौज करता है मालिक के तलवे चाट-चाटकर पेट अपना भरता है * देशभक्ति कभी राष्ट्रहीत का, पुड़िया-पुड़िया करता है ग़र चुनाव आ जाए , मज़हबी भाषा बोलता है * दिन-रात अपने मालिक का नाम जपा करता है विरोध करने वालों को 'देशद्रोही' कहा करता है                                           राहुल सिंह