सच की पुड़िया में झूठ बेचता है (MASANAVI)
गाली-गाली खेलते, टीवी पर पहुँच गया
कोट-टाई पहनकर, रिपोर्टर बन गया
*
फिर हुकमरानों के हाथ बिक गया, अमीर बन गया
आँख पर पट्टी बाँधकर, तलवा चाटने में लग गया
*
सच की पुड़िया में, झूठ पैक करने लगा
चिल्ला-चिल्लाकर, सरेआम बेचने लगा
*
जब सच का लेबल उतर गया, बिकना हो गया
'राष्ट्रहीत', 'देशभक्ति' का लेबल लेकर पहुँच गया
*
मालिक ख़ुश हुआ, मोहरा उसे अच्छा मिला
इस तरह रिपोर्टर को, राष्ट्रीय सम्मान मिला
*
अब वह दुगनी उत्साह से गाली-गलौज करता है
मालिक के तलवे चाट-चाटकर पेट अपना भरता है
*
देशभक्ति कभी राष्ट्रहीत का, पुड़िया-पुड़िया करता है
ग़र चुनाव आ जाए , मज़हबी भाषा बोलता है
*
दिन-रात अपने मालिक का नाम जपा करता है
विरोध करने वालों को 'देशद्रोही' कहा करता है
राहुल सिंह
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें