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जनवरी 7, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पक्की सड़क(KAHAANI/कहानी)

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मास्टर रामबाबू बहुत मेहनती हैं, स्कूल में हाज़िरी लेने के बाद जो थोड़ा वक़्त बच जाता है, वह समाज को जागरूक बनाने में बिताते हैं। रोज साईकिल से 6 किलोमीटर विद्यालय जाना और हाज़िरी लगाकर चले आना, कोई मामूली काम नहीं है। सड़क पर हाथ भर भर के गढ़े हैं। साईकिल पर गद्दीदार सीट ना हो तो कुर्सी पर बैठ नहीं पायेंगे। बरसात में तो, कितना ही बड़ा साईकिल चलकिया क्यों न हो अगर एक हाथ में छाता है, एक-दो बार सड़क के पानी में छपक ही लेगा। बाद में भले ही अनुभव हो जाए।  मास्टरजी ऐसी परिस्थिति में पिछले 15 साल से हैं। कई बार तबादला का काग़ज आया लेकिन थोड़ी जान-पहचान होने के कारण वहाँ से डिगे नहीं। अपने साला के घर पर ही रहते हैं, वहाँ आराम की ज़िंदगी कट रही है। लेकिन उनकी माने तो यहाँ नौकरी करना किसी और की बूते की बात नहीं है। गाँववालों से कहते  फिरते हैं_ "ये तो हम हैं जो यहाँ टिके हुए हैं, दूसरा कोई मास्टर आये तो दो दिन में हेकड़ी निकल जायेगी। मैं सबका भला चाहता हूँ इसलिए यहाँ से नहीं जाता हूँ। जाऊँगा तो सड़क पक्की करवाकर।" कई लोगों ने कहा_"मास्टरजी आप भी क्यों इतना शारीरिक कष्ट करते हैं, मोटरस