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KOI TO HO (SHAYARI)

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                                    #कोई तो हो# तन्हा है ये जीवन , इसमे कोई शोर तो हो अकेला चल पड़ा है राही , कोइ हमराह तो हो माना कि यहाँ आना है अकेला , और जाना भी सफ़र का कोइ रहनुमा तो हो                         न चमकता कोइ मोती ,  निखरती न कोइ खूबसूरती गर इनमें पानी न हो लाख तारे हो साथ , चमकता क्या चांद गर सूरज न हो ? बेरंग है हर वो महफिल , बेसूरे हैं हर वो नग़मे  जिनमें तु न हो  ॥                               (  © राहुल सिंह)