बुनकर तेरा यह काम कैसा है ! (GAZAL)
आशिक़ी में लज्जते आज़ार कैसा है दीवानगी में अब यह क़रार कैसा है * कहते हैं यहाँ की इमारतें बुलँद हैं फ़िर दीवार में यह दरार कैसा है * इश्क में हम हैं, तुम हो, सारा जहाँ है यह बात हर दफ़ा करने का इंतजाम कैसा है * बन्दगी , इबादत, प्रेम खुद में एक नशा है प्यार करने वालों हाथ में जाम कैसा है * बुनना, उधेड़ना और फ़िर बुनना बsता बुनकर तेरा यह काम कैसा है राहुल सिंह