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मुझे फिर गिरने न दिया जाए(GAZAL)

महे को आफ़ताब से मिलने न दिया जाए फ़लक पर रौशनी को बिखरने न दिया जाए * हर तरफ़ ख़ामोशी व ख़ामोशी छाई है है सारी कोशिश कि बोलने न दिया जाए * महक़मा पहुचते ही क़दम लड़खड़ाने लगे सम्भाल साक़ी मुझे कि फिर गिरने न दिया जाए --राहुल सिंह