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सत्ता से सवाल करना सीखो

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उस समय भी तुम में से कोई मेरे साथ खड़े नहीं हुए थे और आज भी नहीं हो... उस समय भी मेरी बात नही समझे थे आज भी नहीं समझना चाहते... हर मुद्दे को भटकाने के लिये एक मुद्दा है.. हर जुमले को छिपाने के लिये एक जुमला है .. पहले काँग्रेस ने उल्लू बनाया और अब भाजपा अपना उल्लू सीधा कर रही है... सरकार से सवाल करना नहीं सीखे तो कल कोई तीसरा तुम्हें मूर्ख बना रहा होगा... तुम हर बार अपना हाथ इसलिए जलओगे की थोड़ा हाथ जलने के बाद रोटी ज़रूर नसीब होगी लेकिन रोटी आज भी तुमसे कोसों दूर है कल भी होगी... बस चेहरे दूसरे होंगे सरकार दूसरी होगी... नहीं समझना चाहते मत समझो... लेकिन मैं तुमलोगों की तरह ख़ास तरह का अंधा और गूँगा नहीं हूँ... मैंने कल भी आवाज़ उठाया था आज़ भी उठा रहा हूँ.. ©  राहुल सिंह (चित्र भी मेरे द्वारा ही लिया गया है ) 

जनता हो परेशान...हम तो चले जापान! (गीत)

जनता हो परेशान  हम तो चले जापान  रे भैया  हम तो चले जापान  जनता हो परेशान.. बड़े दिनों से पाई पाई जोड़  पैसा रखा बचाय  थोड़े से छप्पर छावायें  और बेटी लें बियाह   रे भैया  कैसे लें बियाह  रे भैया  कैसे लें बियाह   पैसा सब पानी भया  जब से फ़रमान दिया सुनाय(२)  जनता हो परेशान ...  घर बार सब छोड़ आए  कुछ पैसा लें कमाय (२) अपना कर्जा लें उतार  रे भैया  कैसे लें उतार  की लम्बी भ गयी क़तार  रे भैया  लम्बी भई कतार (२) जब से फ़रमान दिया सुनाय  जनता हो परेशान...  बड़े जतन से खेत जोत कर  हेंगा दिया चलाय  आज शाम पटवन करके  बीज लेंगे मंगाए  रे भैया  कैसे लें मंगाए की भ गया बंद नोट  रे भैया  भ गया बंद नोट   जब से फ़रमान दिया सुनाय  जनता हो परेशान...  ©  राहुल सिंह