बुनकर तेरा यह काम कैसा है ! (GAZAL)




आशिक़ी में लज्जते आज़ार कैसा है
दीवानगी में अब यह क़रार कैसा है
*
कहते हैं यहाँ की इमारतें बुलँद हैं
फ़िर दीवार में यह दरार कैसा है
*
इश्क में हम हैं, तुम हो, सारा जहाँ है
यह बात हर दफ़ा करने का इंतजाम कैसा है
*
बन्दगी , इबादत, प्रेम खुद में एक नशा है
प्यार करने वालों हाथ में जाम कैसा है
*
बुनना, उधेड़ना और फ़िर बुनना
बsता  बुनकर तेरा यह काम कैसा है

                     राहुल सिंह 

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