सिमी-राकेश (लप्रेक)
"... सिमी, आजकल मुझे ऐसा लगता है कि कोई मेरा पीछा कर रहा है, कोई है जो मुझ पर नज़र रखे हुए है। मैं विचलित हो रहा हूँ, मैं अपने आपको एकाग्र नहीं कर पा रहा। मैं बयाँ नहीं कर सकता कि आजकल मैं कैसा महसूस कर रहा हूँ। किसी काम में मेरा मन नहीं लग रहा। सब निरस सा प्रतीत हो रहा है। पढ़ाई-लिखाई, UPSC के सपने सब फीके ! ... सिमी ...सिमी , हैलो तुम सुन रही हो न ?"
"हाँ मैं सुन रही हूँ। यह तुम्हारे साथ कोई नई बात तो है नहीं ! पहले भी कई बार तुम ऐसी बातें बता चुके हो। यह सब तुम्हारे उपन्यास और उन फ़ालतू के विचारकों को पढ़ने के परिणाम हैं। उन्हें पढ़ना बंद कर दो और अपने कोर्स पर ध्यान दो। समझे !"
"फ़ालतू ? तुम भगत सिंह, लोहिया , मार्क्स , गोर्की , रूसो इनसब को फ़ालतू कैसे कह सकती हो सिमी। तुमने कभी उन्हें पढ़ा नहीं और फ़ालतू कह रही हो ?"
"तो और क्या कहूँ ! क्या उनके विचारों से आज़तक कोई सामाधान सामने आ पाया है ? क्या बदल दिया उन्होंने समाज में ? उनके पहले समाज जैसा था, उनके वक़्त भी वैसा ही रहा और आज भी कोई बदलाव नहीं दिखता! तो क्या कहें ऐसे विचारकों को ?"
"यही की उनके विचारों पर कभी कोई विचार ही नहीं किया गया। तुम्हारे जैसे ही बाकी के लोगों ने भी उन्हें समझा नहीं, उन्हें अपनाया नहीं।"
"देखो राकेश, मुझे तुम्हारी इन बातों को सुनने और समझने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैंने बहुत कुछ बोल कर अपनी शादी रुकवाई है, लेकिन घर वाले ज़्यादा दिन नहीं रुकने वाले। अगले साल नहीं तो उसके बाद के साल मेरी शादी कर देंगे। तुम्हारे पास मुश्किल से एक-दो साल का समय है इसलिए इन विचारकों को छोड़कर अपने कोर्स पर ध्यान दो।"
"... तो क्या तुम किसी और से शादी कर लोगी? क्या तुम्हे सिर्फ़ मेरे IAS बनने से प्यार है, मुझसे नहीं ? ... "
" ऐसा नहीं है राकेश , मैं तुमसे बेहद प्यार करती हूँ लेकिन घर वाले यह नहीं समझते। वे नहीं चाहते की उनकी बेटी की शादी कम हैसियत वाले से हो। ..."
"हैसियत ! कैसी हैसियत ? क्या हैसियत सिर्फ पैसों और पॉवर से तय होने वाली वस्तु है ? तुम तो 'वर्गों के अंतर' को बढ़ा रही हो। इसी के तो ख़िलाफ़ था मार्क्स !"
" ऊऊफ हो ... राकेश, तुम हर बात पर मार्क्स, गोर्की, रूसो आदि को क्यों बीच में ले आते हो। मैंने तुमसे प्यार किया है और तुमसे बात कर रहीं हूँ किसी मार्क्स से नहीं। ... "
"लेकिन मैं तो..."
"उफ़ वो.... अब रहने भी दो। छोड़ो इन बातों को। क्या तुमने खाना खाया ? नहीं खाया होगा। मैं जानती हूँ तुम भूखे इस तरह की बातें ज़्यादा करने लगते हो ! रात बहुत हो चुकी है खाना खाकर सो जाओ। और हाँ ध्यान कोर्स पर लगाओ। "
(राकेश मोबाईल को टेबल के दूसरे छोर पर सरका देता है )
नोट : लव इन टाईम ऑफ़ (UPSC) प्रिप्रेशन
~ राहुल सिंह
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