ग्राम-दृश्य

                          ग्राम-दृश्य       

देख बटोही 
यह सर्प बदन -सी बलखाती 
यह रत्नाकर -सम लहराती 
यह मखमल -सा कोमल पगडण्डी 
मेरे गाँव को जाती है । 

(तू आगे बढ़ )
(टन -टन )

ये  कर्ण भेदते मंगल-ध्वनि ,
मेरे ग्राम -सीमा पर स्थित ,
संकटमोचन मंदिर की ध्वनि है 
यह सव्च्छंद होकर बहती 
धरातल से फूटी जल स्रोत  की 
जल -धारा  है । 

त्याग संकोच ,देर न कर 
तू ये रस पी ले (क्योंकि )
यह जल धारा 'दिल्ली '  की यमुना 
और 'पटना 'की गंगा 
से उत्तम है । (तू पी ले)

(चल ,आगे बढ़ )

(लाओ ये सामान मुझे दे दो )

तू घबरा मत ,
तू संदेह  कर 
वे अपने ही गाँव के चाचा हैं ,

अब तू यह मत पूछ 
मेरा ,कहाँ ठिकाना है 
यहाँ पर सबका 
हर घर से रिश्ता -नाता है ॥ 





                                     -राहुल सिंह 


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