Lyrics(विरह)
तुम बिन कैसा दिवस, कैसी रैन रे
जब से गए तुम पिया परदेश
दशहरा बिता सूना, दिवाली भई अंधेर
होली भी बीत गयी बेरंग रे
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सूख गए मोरे भींगे नैन रे
तुम बिन कैसा दिवस, कैसी रैन रे
तुम बिन एक पल भी अब न चैन रे
कह कर गए थे आओगे जल्दी
शर्दी बीति, गर्मी बीती,
आई अब बदरिया कि बेला रे
जब-जब ये गरजे, जिया मोरा धडके
गिर न जाये माटी का ये घर रे
तुम बिन कटे नाहि मोरा जींदगी के कोइ पल रे
(few lines are to be added)
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