Lyrics(विरह)



तुम  बिन कैसा दिवस, कैसी रैन रे 
तुम बिन एक पल भी अब न चैन रे
जब से गए तुम पिया परदेश
दशहरा बिता सूना, दिवाली भई अंधेर
 होली भी बीत गयी बेरंग रे


तुम्हरी राह तकत-तकत
सूख गए मोरे भींगे नैन रे

 तुम  बिन कैसा दिवस, कैसी रैन रे
तुम बिन एक पल भी अब न चैन रे

कह कर गए थे आओगे जल्दी
शर्दी बीति, गर्मी बीती,
आई अब बदरिया कि बेला रे
जब-जब ये गरजे, जिया मोरा धडके
गिर न जाये माटी का ये घर रे

तुम बिन कटे नाहि मोरा जींदगी के कोइ पल रे
        (few lines are to be added)

                                   Lyrics by Rahul Singh                                 

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