खुद से लड़ाई
खुद से लड़ाई
रोज सवेरे उठकर मैं ,
अपने आप से लड़ाई लड़ता हूँ।
अपने गलत आदतों को छोड़ने की
पल -पल प्रतिज्ञा करता हूँ ,
कुछ पल के लिए 'रमन एवं भाभा' को
आँधी की तरह चले आतें हैं
'कुँवर' ,'भगत' एवं 'सुभाष' भी,
और अपने अंदर क्रांति की
एक चिंगारी सुलगता देखता हूँ।
योग गुरु रामदेव बाबा की
भारत स्वाभिमान की बातें मेरे अंदर की ,
चिंगारी को हवा दे देती हैं
और
मैं खुद को खादीधारियों से लोहा लेते पाता हूँ।।
फिर राम नाम की शीतल हवा ,मेरी क्रांति चेतनाओं को
पल भर में बुझा देतीं हैं ,
यह माया मोह से दूर
अपने आप को प्रभु चरणों में घसीटता पाता हूँ।
फिर स्वचेतना जागजाती है.…
अपने आप को वहीँ कीचड़ में लेटा पता हूँ।।
यह लड़ाई मैं आज से नहीं ,
कल से नहीं ,
बल्कि जबसे होश संभाला है
तब से लड़ता आ रहा हूँ।।
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