NANHE HAATH

नन्हे हाथ 

ये नन्हे हाथ.… 

शहरों की गलिओं में ,
सड़कों की चौहाने पर 
स्वर्ण ढूंढते ये कोमल हाथ 

और.… 
स्वर्ण भस्म में लिपटे उनके गात 
जिसपर लदा रहता है, हरदम एक मोटरी साथ 

सिर्फ ये ही नहीं ,
लम्बे -लम्बे पलटफ़ॉर्म पर 
प्रातः भोर में ,
अधखुले आँख 
साथ में चाय की केतली 
पकड़े ,उनके ठिठुरते हाथ 

चीख -चीख कर कररही है 
आज़ाद हिंदुस्तान की हाल बयां । 


प्रायः 
किसी ढाबों में ,किराना दुकानों पर 
सख़्त पत्थरो के बीच दिख जातें हैं 
फूल से कोमल हाथ । 

यहाँ  तक की 
रंगीन पानी वाले घरों में 
 धुँआ से बने छतों के निचे 
अपने मालिक के इशारों पे नाचते 
दिख जाते हैं ये मासूम हाथ 

ये "चाचा नेहरू " के प्यारे हाथ 
आज चाह रहे हैं किसी का साथ ॥


_राहुल सिंह 

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